SMS Help line to Address Violence Against Dalits and Adivasis in India
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Case posted by | NDMJ - Himachal Pradesh |
Case code | HP-UNA-13 |
Case year | 02-Feb-2015 |
Type of atrocity | Abuses by caste name in any place within public view |
Whether the case is being followed in the court or not? | No |
Fact finding date | Not recorded |
Case incident date | 02-Feb-2015 |
Place | Village: Not recorded Taluka:Not recorded District: UNA(DP) State: Himachal Pradesh |
Police station | AMB |
Complaint date | 17-Aug-2015 |
FIR date | 31-Dec-1969 |
यह घटना जिला ऊना की तहसील अम्ब की पचायत लडोली के गांव भर्वन उर्फ़ कंगरूही की है इस गांव में400 से भी अधिक दलित परिवारों की घनी बस्ती 350 साल से जिस भूमि पर मौजूद है उसके कागजात के खाना काश्त में वशिदंगान देह शब्द दर्ज है तथा खाना मालिक में गांव के नम्बरदार परिवार का नाम दर्ज है. ज़मीन के कागजात में काब्ज़ का नाम नहीं दर्शाया गया है खाना काश्त में वशिदंगान देह शब्द की एंट्री कई सालों से ऐसे ही चली आ रही है. कई बार पटवारी द्वारा गिरदावरियां हुई लेकिन एक सोची समझी साज़िश के तहत उन्होंने यह साबित ना किया की उक्त वशिदंगान देह रकवा पर किसकी आवादी है, किन परिवारों द्वारा उक्त भूमि का प्रयोग हो रहा है अर्थात काब्ज़ कौन हैं. इसी अधूरी एंट्री के कारण नम्बरदार परिवार ने उपरोक्त वशिदंगान देह रकवे को दलित परिवारों को डराते धमकाते हुए एक दुसरे परिवार को बेचना शुरू कर दिया है जिस कारण दलित परिवारों में आपसी तनाव पैदा हो गया है. कई दलित परिवार तो डर के मारे खुद की काब्ज़ ज़मीन जिन पर उनके मकान बने हुए हैं व खुद ही खरीद रहें है उन्हें डर है की कही उन्हें वेघर ना कर दिया जाए. इस गांव में गैर मौरूसी कब्जों के नाम का स्थानन्तरण तो हो गया है. परन्तु उपरोक्त खाना काश्त वशिदंगान देह रकवे का स्थानन्तरण काब्ज़दारों यानी दलित परिवारों के नाम नहीं हुआ है. वशिदंगान देह ज़मीन पर दलित परिवार लगभग 350 से भी अधिक वर्षों से वहां अपने घर बना कर रह रहे हैं. नम्बरदार परिवार द्वारा यह भी दर्शाया गया है की दलित आबादी में उनकी आबादी भी है पर ऐसा कुछ भी नहीं है. जिस वशिदंगान देह रकवे पर उनकी बस्ती है वह ज़मीन लगभग 500 से अधिक वर्ष पहले वहां के देवता बाबा साहली की माफीनामा जमीन है. जिसके बदले आज भी कई परिवार बाबा साहली के मंदिर में हर छ: महीने के बाद नई फसल में से अनाज वहा भेट किया करते हैं. दलित परिवारों का यह भी कहना है कि नम्बरदार परिवार 70-80 साल पहले पंजाब से आकर बसा है. और दोखे से खाना मालिक में नम्बरदार परिवार ने अपना नाम दर्ज करवाया है. दलित परिवारों का निवेदन है की उपरोक्त किसम की भूमि पर हुई रजिस्ट्रियों को रद्द करवा कर हकदार काब्जो के नाम भूमि सथान्तरण करवाई जाए. रणजीत सिंह, विमला देवी, करतारी देवी, वीरू राम, भागो देवी, राजकुमारी, बलबंत कुमार, रत्न चन्द, धनी राम, रवि कुमार राकेश कुमार, देव राज, व अन्य काफी सारे दलित परिवार इस घटना में पीडित हैं.