SMS Help line to Address Violence Against Dalits and Adivasis in India
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Kunja Jena, Mini Jena, Binod Jena, Malati Jena,Indramani Jena, Dilip Jena, Kuna Jena, Amar Jena, Manguli Jena all belong to Koro-Gaidua village, PS- Nikirei, Dist- Kendrapara, Odisha have been severely injured and admitted into Medical College, Cuttack on 1.12.2015. The victims were mass attacked by about 200 dominant caste groups on 1st December 2015 at morning hour over a land dispute in presence of police.
On 1st December 2015, at about 10.00am about 200 dominant caste people gathered at the agriculture land which has been cultivated by dalitsand forcefullyharvested the crop in presence of police. The dominant caste communities came prepared to the land possessing all kinds of weapon. This was not tolerated by dalits, the cultivator of the land. They try to protest and shout at dominant caste people. As the dalits communities too try to cut the paddy crop, the dominant caste people attacked them with weapons severely.
On 30th November 2015, police called on a meeting of both Dalits and Dominant communities at Nikirai police station to inform the cultivator of the land (Dalits) that the Endowment Commission has given a decree of the land in favour of Radha Mohan Jiu Math, hence the crop will be harvested on 10th December and same will be under the custody of Tahasildar and would be decided to whom the crop to be handed over in due course of time.
The disputed land which has been cultivated by Dalits was given by the then king BrajaSundarDev to the forefathers of present cultivators as “Jagir”for beating drum in the temple in the year 1929 which was settled in the name of Dasi Jena, Radhu Jena, Padhei Jena, Nidhi Jena in 2010 by the settlement of officer of DerabishTahasil. The landholders also have been paying revenue for the land since so many years.
Types of injuries faced by the victims:
Socio economic Background:
Koro-Kaidua village is inhibited by 260 Dalits and 250 upper caste families. Though Dalits are good in numbers, organisationally they are very weak due to lack of unity among different sub caste groups. They don’t sit for a common cause. Majority of the dalits families are landless. Only 2 govt. servants, 2 college students and 15 high school going children are found among 40 victim pano families of the village.
Shankar (19) belongs to dalit community, residing at Arivoli Nagar, 4th street, Muthur road, Vellakovil Taluk of Tiruppur District. He is studying degree in private collage. He was brutally attacked by Thangavelu and others because he fall in love with caste hindu jamuna on 22.10.2015.
यह घटना जिला ऊना की तहसील अम्ब की पचायत लडोली के गांव भर्वन उर्फ़ कंगरूही की है इस गांव में400 से भी अधिक दलित परिवारों की घनी बस्ती 350 साल से जिस भूमि पर मौजूद है उसके कागजात के खाना काश्त में वशिदंगान देह शब्द दर्ज है तथा खाना मालिक में गांव के नम्बरदार परिवार का नाम दर्ज है. ज़मीन के कागजात में काब्ज़ का नाम नहीं दर्शाया गया है खाना काश्त में वशिदंगान देह शब्द की एंट्री कई सालों से ऐसे ही चली आ रही है. कई बार पटवारी द्वारा गिरदावरियां हुई लेकिन एक सोची समझी साज़िश के तहत उन्होंने यह साबित ना किया की उक्त वशिदंगान देह रकवा पर किसकी आवादी है, किन परिवारों द्वारा उक्त भूमि का प्रयोग हो रहा है अर्थात काब्ज़ कौन हैं. इसी अधूरी एंट्री के कारण नम्बरदार परिवार ने उपरोक्त वशिदंगान देह रकवे को दलित परिवारों को डराते धमकाते हुए एक दुसरे परिवार को बेचना शुरू कर दिया है जिस कारण दलित परिवारों में आपसी तनाव पैदा हो गया है. कई दलित परिवार तो डर के मारे खुद की काब्ज़ ज़मीन जिन पर उनके मकान बने हुए हैं व खुद ही खरीद रहें है उन्हें डर है की कही उन्हें वेघर ना कर दिया जाए. इस गांव में गैर मौरूसी कब्जों के नाम का स्थानन्तरण तो हो गया है. परन्तु उपरोक्त खाना काश्त वशिदंगान देह रकवे का स्थानन्तरण काब्ज़दारों यानी दलित परिवारों के नाम नहीं हुआ है. वशिदंगान देह ज़मीन पर दलित परिवार लगभग 350 से भी अधिक वर्षों से वहां अपने घर बना कर रह रहे हैं. नम्बरदार परिवार द्वारा यह भी दर्शाया गया है की दलित आबादी में उनकी आबादी भी है पर ऐसा कुछ भी नहीं है. जिस वशिदंगान देह रकवे पर उनकी बस्ती है वह ज़मीन लगभग 500 से अधिक वर्ष पहले वहां के देवता बाबा साहली की माफीनामा जमीन है. जिसके बदले आज भी कई परिवार बाबा साहली के मंदिर में हर छ: महीने के बाद नई फसल में से अनाज वहा भेट किया करते हैं. दलित परिवारों का यह भी कहना है कि नम्बरदार परिवार 70-80 साल पहले पंजाब से आकर बसा है. और दोखे से खाना मालिक में नम्बरदार परिवार ने अपना नाम दर्ज करवाया है. दलित परिवारों का निवेदन है की उपरोक्त किसम की भूमि पर हुई रजिस्ट्रियों को रद्द करवा कर हकदार काब्जो के नाम भूमि सथान्तरण करवाई जाए. रणजीत सिंह, विमला देवी, करतारी देवी, वीरू राम, भागो देवी, राजकुमारी, बलबंत कुमार, रत्न चन्द, धनी राम, रवि कुमार राकेश कुमार, देव राज, व अन्य काफी सारे दलित परिवार इस घटना में पीडित हैं.
यह घटना जिला हमीरपुर की तहसील बडसर की पंचायत घोड़ी की है. यह गांव जिला मुख्यालय से 60 कि०मी० की दुरी पर है. इस गाव में पानी के लिए लोग ज्यादातर कुदरती तरीको पर निर्भर है. इस गांव में चमार जाति के 100 घर, जीर जाति के 2 घर, गिरथ जाति के 15 घर, राजपूत जाति के 100 घर हैं.
इस गांव में दलित समाज में से मनसा राम सपुत्र चेतु राम उम्र 63 वर्ष रहता है. वह चमार जाति से सम्बंधित है और मजदूरी का काम करता है व गांव में अपने भाई चारे के साथ मिलकर रह रहा है. इस गांव में दलित बस्ती के साथ लगभग 100 साल से भी अधिक पुराना कुआं है जिसको सन 2004 में पंचायत ने पक्का करवाया. गर्मियों में सरकारी नलों में पानी की कमी के कारण दलित बस्ती के लोग इसी कुँए से हर साल पानी भरते हैं. इसी के साथ दलित बस्ती के लोगों द्वारा कुँए की सफाई भी की जाती रही है. यह कुआं दलित बस्ती से 60-70 मीटर की दुरी पर है पंचायत ने इस कुँए की जाने के लिए रास्ते को भी पक्का करवाया. घटना 17/06/15 की जब मनसा राम ने हर साल की तरह कुआ साफ़ करने का फैसला लिया. मनसा राम ने सुबह सुबह जाके कुआ साफ़ करने के लिये सीता राम के घर से टुल्लू पम्प लाया व कुआ साफ़ करने के लिए बस्ती के ही नेगी, सुख राम, विशन दास, कमल कुमार को साथ लिया. जब व कुआं साफ़ करने के लिए कुँए पर पहुंचे तो उन्होंने देखा की कुँए में अमर सिंह सपुत्र मंगत राम जाति राजपूत ने इस कुए में सड़ी गल्ली सब्जियां फेंक रखी है क्योंकि कुए के साथ उसकी ज़मींन है और उस ज़मींन में उसने सब्जियां लगा रखी हैं. इस मोके को देखते हुए मनसा राम व अन्य बस्ती वालों ने मोके पर गांव के उपप्रधान कश्मीरी लाल जाति ब्राह्मण को बुलाया व कुआँ साफ़ करने से पहले मोका देखने को कहा. मनसा राम व अन्य दलित बस्ती के लोग जो कुआं साफ़ करने के लिए आये हुए थे उपप्रधान को मौका दिखा ही रहे थे की इतने में अमर सिंह सपुत्र मंगत राम जाति राजपूत ने वहां अपने बेटों चमन व पवन के साथ आकर गालिया निकालनी शरू कर दी की किस साले ने उपप्रधान को बुलाया है इस कुँए की कोई सफाई नहीं होगी यह कुआ मेरी ज़मींन में है और मैं किसी को भी पानी नहीं भरने दूंगा जब सभी ने इस बात का विरोध किया तो अपर सिंह हाथापाई करने पर उतारू हो गया जिस पर उपप्रधान ने मौका से सभी को घर चलने को कहा. सभी लोग जब दलित बस्ती की और अपने घरो को जाने लगे तो कुँए के पास मनसा राम व कमल कुमार रह गए व घर की और जाने लगे तो अमर सिंह अपने बेटों से कहने लगा की चलो चलो घर चलो जे चमार चोदर तो ऐसे ही रहेगी. इसके बाद मनसा राम व अन्य दलित बस्ती के लोगो मिलकर SDM हमीरपुर को इस घटना बारे शिकायत दर्ज करवाई. SDM ने DSP को इस केस की कार्य वाही करने को कहा व अमर सिंह के खिलाफ पर्चा दर्ज करवाया.
यह घटना जिला हमीरपुर की तहसील भोरंज की पंचायत कडोता में पड़ते गांव कठियान्वी की है. यह गांव जिला मुख्यालय से चालीस कि०मी० की दुरी पर है. इस गांव में आगनवाडी स्कुल व दसवी कक्षा तक स्कुल है व एक सरकारी स्वस्थ्य उपकेन्द्र भी है. इस गाव में पानी के लिए लोग ज्यादातर कुदरती तरीको पर निर्भर है. इस गांव में चमार जाति के 80 घर, कबीर पंथी जाति के 30 घर, ब्राहमण जाति के 25 घर, गिरथ जाति के 25 घर, राजपूत जाति के 4 घर हैं.
इस गांव में दलित समाज में से प्रशोतम चन्द सपुत्र धनी राम उम्र 41 वर्ष रहता है. वह चमार जाति से सम्बंधित है. वह सरकारी ठेकेदारी का काम करता है. मुख्य मार्ग से कठियाम्वी होते हुए नाले तक कुल 800 मी० कच्ची सड़क है. जिस पर पंचायत द्वारा PWD में माध्याम् से पक्की सड़क बनाने का निरन्य लिया गया. इस सड़क के लिए कुल 33 लाख रूपये खर्च करने का निर्णय लिया गया. PWD महकमा ने सड़क के शुरुयाती काम के लिये प्रशोतम चन्द सपुत्र धनी राम जो की सरकारी ठेकेदार है को काम दे दिया. 22 मार्च 15 को सड़क का काम शुरू करा दिया गया. लेकिन 17 अप्रैल 15 को PWD विभाग द्वारा सड़क का काम किया जा रहा था की कडोहता गांव के राजीव कुमार सपुत्र जगदीश चन्द जाति राजपूत, वरिन्द्र कुमार सपुत्र जगदीश चन्द जाति राजपूत, दुनी चन्द सपुत्र जय सिंह जाति राजपूत, ज्ञान चन्द मुरली जाति राजपूत ने सड़क निर्माण कार्य को रोक दिया व जाति सूचक गालिया निकालने लगे. इन सभी ने सड़क निर्माण की सोलिंग भी उखाड़ डाली व मजदूरों के साथ हाथापाई भी की गई. इन सभी लोगों ने PWD विभाग पर अपना दबाब वनाया व सड़क कार्य को बंद करवा दिया. इसके बाद 18/04/15 को दलितों ने मिल कर एक ज्ञापन जिलाधिश महोदया को दिया जिस पर जिलाधिश महोदय ने SDM भोरंज को मोका पर जाने को कहा और सडक के लिए ज़मीन की पटवारी तहसीलदार द्वारा निशाँन देहि करवाने को कहा. 21 अप्रैल को सभी राजपूतों ने मिल कर निशाँन देहि करवाई. लेकिन अभी तक सड़क का कार्य रुका हुया है और राजपूतो द्वारा अपनी अपनी ज़मींन की कोर्ट से स्टे लेकर PWD विभाग पर पूरी तरह से दबाव बना कर कार्य को रोक दिया है व् प्रशोतम चन्द सपुत्र धनी राम जो की सरकारी ठेकेदार है को काम दे दिया था पर झूठा केस डाल दिया है की इसका मकान सड़क निर्माण कार्य के बिच है व इसने सड़क निर्माण के दोरान हमारे निजी पेड़ काटे व हमारी गेहूं की फसल खराब करी. अब मोजुदा सिथिति में PWD विभाग द्वारा सड़क पूरी तरह से JCB से उखाड़ दी गई है जिस कारण सम्पर्क सड़क मार्ग पूरी तरह से बाधित हो चुका है तथा आम जन /स्कूली बच्चों को आने जाने/ बीमार व्यक्तियों को लाने ले जाने में भारी परेशानी हो रही है.